नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को देश की टेलीकॉम कंपनियों को फटकार लगाते हुए कहा था कि आदेश के बाद अभी तक समायोजित सकल राजस्व (AGR) की बकाया राशि का भुगतान नहीं किया । इस फटकार के बाद दूरसंचार विभाग ने भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को शुक्रवार की आधी रात तक AGR बकाये का भुगतान करने का आदेश दिया था, लेकिन इस आदेश को भी दरकिनार कर किसी भी टेलीकॉम कंपनी ने एजीआर का भुगतान नहीं किया है।
17 मार्च तक पूरी बकाया राशि का कर देंगे भुगतान : एयरटेल
दूरसंचार विभाग के इस आदेश के बाद भारती एयरटेल ने कहा है कि वह 20 फरवरी तक 10,000 करोड़ रुपये जमा करेगी। बकाया राशि का पूरा भुगतान 17 मार्च 2020 तक कर दिया जाएगा, वहीं वोडाफोन आइडिया ने अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया है। बता दें कि भारतीय एयरटेल पर 35,586 करोड़ का और वोडाफोन आइडिया पर 50,000 करोड़ रुपये का बकाया है। वहीं इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले पर मुलाकात की है। एजीआर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के नतीजे पर चर्चा की है।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा था देश में कानून नाम की चीज बची है?
आदेश के बावजूद करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये के समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का भुगतान न करने पर दूरसंचार कंपनियों से बेहद नाराज सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तल्ख लहजे में कहा कि क्या इस देश में कानून नाम की चीज बची है? क्या हम सुप्रीम कोर्ट बंद कर दें? जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने यह कहते हुए वोडाफोन-आइडिया, एयरटेल समेत सभी दूरसंचार कंपनियों के एमडी व सीएमडी के खिलाफ नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों नहीं उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए?
पीठ ने इन दूरसंचार कंपनियों के सीएमडी और एमडी को तलब करते हुए स्पष्ट तौर पर कहा कि आपके पास अदालती आदेश का पालन करने का आखिरी मौका होगा और अगर वे इसमें असफल रहे तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। पीठ ने कहा कि हर हालत में सभी तरह का भ्रष्टाचार रुकना चाहिए। यह आखिरी मौका है और आखिरी चेतावनी भी। पीठ ने कहा टेलीकॉम कंपनियों ने शीर्ष अदालत के आदेश का जरा भी सम्मान नहीं किया है।
आखिर सरकारी अफसर हमारे आदेश पर कैसे लगा सकता है रोक?
पीठ ने दूरसंचार विभाग के उस अधिकारी को भी जमकर फटकार लगाई, जिसने आदेश जारी कर एक मायने में अदालती आदेश के प्रभावी बनाने पर रोक लगा दी थी। इस अधिकारी को भी अवमानना नोटिस जारी किया है। कंपनियों व दूरसंचार विभाग के इस रवैये से नाराज पीठ ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि आखिर सरकारी डेस्क अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कैसे रोक लगा सकता है? क्या आप अदालत के आदेश के साथ ऐसा व्यवहार करते हैं?
जानें किस कंपनी पर है कितना बकाया?
बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को 90 दिनों के भीतर बकाया 92,000 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया था। कंपनियों पर एजीआर और ब्याद की रकम मिलाकर करीब 1.47 लाख करोड़ रुपये बकाया है। गत 16 जनवरी को कोर्ट ने कंपनियों द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया था।
वोडाफोन आइडिया- 53,038 करोड़ रुपये
रिलायंस जियो- 45,000 करोड़ रुपये
भारती एयरटेल- 35,586 करोड़ रुपये
टाटा टेलीकॉम- 13,823 करोड़ रुपये