लखनऊ। सीएए , एनपीआर और एनआरसी के मुद्दे पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक बार फिर बीजेपी को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने लिखित बयान जारी करते हुए कहा कि दोबारा केन्द्र में सरकार बनने के बाद भाजपा नेतृत्व में जो अहंकार दिखाई दे रहा है। उससे देश में जहां संघीय व्यवस्था को आघात पहुंच रहा है। तो वहीं विदेशों में भी भारत की छवि धूमिल हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को डराने और धमकाने की भाषा छोड़कर संविधान के अनुकूल आचरण और ‘राजधर्म’ का स्मरण करना चाहिए।
देश की एकता और सौहार्द को खतरा पैदा हो गया
इसके साथ ही अखिलेश यादव ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में ‘भारत को सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य’ घोषित करते हुए ‘समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता’ की गारंटी दी गई है। जबकि बीजेपी इन मूलभूत विचारों से अलग अपनी खिचड़ी पकाने में लग गई है, जिसके नतीजे में देश की एकता और सौहार्द को खतरा पैदा हो गया है।
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अखिलेश यादव में लिखित बयान में भाजपा और आरएसएस पर भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि सीएए और एनआरसी को जोड़कर एक ऐसी यंत्रणा बनाई जा रही है जो संविधान के अनुच्छेद-14 में दिए गए अधिकार का हनन करती है। इसके विरुद्ध देश-विदेश में भारतीयों के बीच गहरा आक्रोश है। गोद में बच्चे लिए महिलाएं तक इसके विरोध में देश के विभिन्न भागों में ठंड में ठिठुरती हुई धरना दे रही हैं। भाजपा इन महिलाओं को अपमानित कर रही है।
यूरोपीय संघ का भी अखिलेश ने किया जिक्र
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा की कुरीतियों के चलते आज सीएए पर दुनिया के सामने भारत को सफाई देनी पड़ रही है। कोई इसे भारत का आंतरिक मामला मानने को तैयार नहीं है। यूरोपीय संघ की संसद में नागरिकता कानून को लेकर विरोध प्रस्ताव पास किए गए हैं। यूरोपीय संघ की संसद में 751 सदस्य हैं, जिनमें 560 सांसद इस कानून के विरोध में हैं। उन्होंने भारत में विपक्ष पर पुलिस के बल प्रयोग की जांच किए जाने की भी मांग की है। अमेरिका के कुछ सांसदों ने भी विरोध में अपनी आवाज दर्ज कराई है। भारत के लोकतांत्रिक और धर्म निरपेक्ष स्वरूप पर उंगली उठाई जा रही है।
अखिलेश यादव ने कई राज्यों का दिया उदाहरण
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जारी बयान के आखिर में कहा कि भाजपा की हठधर्मिता का राज्यों में भी तीव्र विरोध शुरू हो गया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सबसे मुखर विरोध किया है। जबकि केरल, पंजाब, असम, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र आदि कई राज्यों ने भी सीएए लागू करने से इंकार किया है। केन्द्र राज्य के बीच यह संघर्ष संघीय व्यवस्था को चोट पहुंचाने वाला है। अखिलेश ने कहा कि भाजपा के पास केन्द्र में बहुमत है, लेकिन इस बहुमत के आगे लोकमत की उपेक्षा नहीं की जा सकती है। जिस जनता के मत पर भाजपा ने अपनी सरकार बनाई है, वह अपने मतदाता की भावना को ही कुचलने की साजिश कर रही है। लोकतंत्र के लिए यह खतरे की घंटी है। संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने सत्ता के दुरुपयोग की जो चेतावनी दी थी वह भाजपा के सम्बंध में सटीक और सार्थक बैठती है।