नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा कहा कि सरकार ने देश में बढ़ती मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए एक समिति का गठन किया है। यह समिति इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) में बदलाव संबंधित सुझाव देगी।
राज्यसभा में प्रश्न काल के दौरान गृहमंत्री ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में राज्यों के राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा
राज्यसभा में प्रश्न काल के दौरान गृहमंत्री ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में राज्यों के राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा गया है। इसके साथ कहा है कि वह अपने यहां वरिष्ठ जांचकर्ताओं और सरकारी वकीलों से चर्चा कर सीआरपीसी और आईपीसी में बदलाव संबंधित सुझाव दें। उन्होंने बताया कि पुलिस अनुसंधान और विकास का ब्यूरो के अंतर्गत एक समिति बनाई गई है। इस समिति के सुझाव के बाद हम उनकी सिफारिशों के आधार पर बदलाव की प्रक्रिया शुरू करेंगे। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में 17 जुलाई को संसद को मॉब लिंचिंग से निपटने के लिए नया कानून बनाने को कहा था।
गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया है कि मॉब लिंचिंग के आंकड़े संसद पटल पर क्यों नहीं रखे गए?
गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया है कि मॉब लिंचिंग के आंकड़े संसद पटल पर क्यों नहीं रखे गए? एनसीआरबी अलग—अलग अपराधों के आंकड़े जारी करता है। जिनके प्रावधान आईपीसी और स्पेशल व स्थानीय कानूनों में स्पष्ट बताए गए हैं। एनसीआरबी ने इस साल पहली बार कुछ नए अपराधों के आंकड़े जुटाए हैं। जिनमें मॉब लिंचिंग भी शामिल है, लेकिन बाद में ऐसा पाया गया कि आंकड़े भरोसेमंद नहीं हैं और इसका गलत प्रभाव हो सकता है। इसलिए एनसीआरबी मॉब लिंचिंग पर अलग से आंकड़े जारी नहीं कर रहा है।
कांग्रेस के कुछ नेताओं ने राज्यसभा में मॉब लिंचिंग पर गृह मंत्री से सवाल पूछा
कांग्रेस के कुछ नेताओं ने राज्यसभा में मॉब लिंचिंग पर गृह मंत्री से सवाल पूछा था। इनका कहना था कि सरकार क्या सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के अनुसार मॉब लिंचिंग रोकने के लिए कोई कदम उठा रही है? इनका यह भी सवाल था कि सरकार इसके लिए सीआरपीसी और आईपीसी की धाराओं में क्या कर रही है?