नई दिल्ली। बीएचयू में संस्कृत के मुस्लिम प्रोफेसर पर विवाद छिड़ा हुआ है। छात्र प्रोफेसर की नियुक्ति का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वह मुस्लिम है, लेकिन क्या आप जानते हैं इससे पहले एक ब्राह्मण परिवार में जन्मीं की एक शिक्षिका के अरबी पढ़ाने को लेकर भी विरोध हो चुका है?
बीएचयू में संस्कृत के मुस्लिम प्रोफेसर और केरल में ब्राह्मण के अरबी टीचर के विरोध में दिखाई देती है समानता
ब्राह्मण परिवार में जन्मीं शिक्षिका की नियुक्ति पर भी लोगों को उनका अलग धर्म का होना दिखा था। वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए बीएचयू में संस्कृत के मुस्लिम प्रोफेसर और केरल में ब्राह्मण के अरबी टीचर के विरोध में समानता दिखाई देती है। दोनों के विरोध के पीछे उनका विपरीत धर्म का होना है। तो आइए बताते हैं आखिर कौन हैं अरबी की ब्राह्मण टीचर ?
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भला एक ब्राह्मण परिवार में जन्मीं कैसे पढ़ा सकती है अरबी ?
गोपालिका अर्जथनम केरल के त्रिशूर जिले की रहने वाली हैं। त्रिशूर में गोपालिका का परिवार पारंपरिक रूप से कोत्तियूर मंदिर का पुजारी रहा है। गोपालिका ने केरल में करीब 25 साल तक अरबी पढ़ाने का काम किया। गोपालिका बताती हैं कि हमारे गांव में अरबी का एक संस्थान था। मेरी रूचि अलग भाषा को सीखने में थी। उन्होंने बताया कि हाई स्कूल तक मैंने संस्कृत पढ़ी थी, लेकिन मेरी अपनी दिलचस्पी अरबी के प्रति थी। अरबी संस्थान में जाने पर उनके साथ हुए व्यवहार के बारे में गोपालिका का कहना है कि वहां उनका जोरदार स्वागत किया गया। उस संस्थान में विभिन्न समुदाय के साथ ब्राह्मण छात्र भी पढ़ते थे, लेकिन अब नहीं मालूम उनमें से किसी ने अरबी पढ़कर कैरियर अपनाया हो।
गोपालिका ने बताया कि 1987 का साल उनके लिए काफी उतार चढ़ाव वाला रहा
गोपालिका अपने अतीत को याद करते हुए बताया कि 1987 का साल उनके लिए काफी उतार चढ़ाव वाला रहा। शादी के बाद उन्हें मलप्पुरम शिफ्ट होना पड़ा। मलप्पुरम में उनकी नियुक्ति अरबी शिक्षक के तौर पर हुई, लेकिन लोगों को ये बात पसंद नहीं आई कि एक ब्राह्मण अरबी पढ़ा सकती है। इसलिए उनकी नियुक्ति का विरोध होने लगा। इसी दबाव के कारण संस्थान से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
केरल पब्लिक सर्विस कमीशन का इम्तिहान पास कर मलप्पुरम के दूसरे सरकारी संस्थान में पढ़ाने लगी
गोपालिका ने बताया कि उसके बाद मुझे लगा कि अपने साथ हुई नाइंसाफी के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। उनके इस फैसले में ससुराल पक्ष के लोगों ने मेरा साथ दिया। उनके पति ने कानूनी रूप से लड़ने को कहा। लिहाजा, ससुराल पक्ष की तरफ से मिले समर्थन के बाद उन्होंने केरल हाई कोर्ट में अपील दायर कर दी। दो साल बाद केरल हाई कोर्ट का फैसला उनके पक्ष में आया। इस दौरान उन्होंने केरल पब्लिक सर्विस कमीशन का इम्तिहान दिया। इम्तिहान पास कर मलप्पुरम के दूसरे सरकारी संस्थान में पढ़ाने लगी। गोपालिका का कहना है कि ये मुद्दा उस वक्त केरल में खूब छाया था। राजनीति और पब्लिक में यही बात चर्चा का विषय बनी हुई थी।
अरबी को किसी विशेष धर्म से जोड़कर इसकी खूबसूरती को नहीं खत्म करना चाहिए: गोपालिका
गोपालिका अरबी भाषा को किसी खास धर्म से जोड़ने पर कहती हैं कि अरबी बहुत खूबसूरत भाषा है। धर्म और जात से हटकर लोग अरबी सीख रहे हैं। अरबी के प्रति लोगों का नजरिया बदला है। अरबी में नौकरी के बहुत अवसर हैं। अरबी को किसी विशेष धर्म से जोड़कर इसकी खूबसूरती को नहीं खत्म करना चाहिए।