लखनऊ। अयोध्या फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल करने के मसले पर रविवार को ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की बैठक हुई। बैठक का आयोजन लखनऊ स्थित मुमताज कॉलेज में किया गया।
AIMPLB की बैठक में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला
AIMPLB की बैठक में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला लिया है। बोर्ड के बैठक के बाद जफरयाब जिलानी, मौलाना महफूज़, शकील अहमद, इरशाद अहमद और एमार शमशाद ने कहा कि बोर्ड फैसले को चुनौती देगा।
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मस्जिद के लिए दूसरी जगह जमीन मंजूर नहीं
कासिम रसूली ने कहा कि कोई दूसरी जगह मस्जिद के लिए मंज़ूर नहीं होगी। बोर्ड ने कहा कि कोर्ट और एएसआई रिपोर्ट ने भी कहा है कि किसी मंदिर को तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई गई है। गुंबद के नीचे जन्मस्थान का प्रमाण नहीं मिला है। कोर्ट का फैसला कई मायनों में समझ से परे है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बाबरी मस्जिद के फैसले में एक दूसरे से टकराने वाली बातें लिखी गई हैं। 5 एकड़ जमीन देने की बात कही गई है। मस्जिद जहां बना दी जाती है वहां मस्जिद ही रहती है। हम मस्जिद के एवज में ज़मीन या पैसे नहीं ले सकते। हमें दूसरी ज़मीन कुबूल नहीं है।
जमीयत उलमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मस्जिद हमारी नाक का नहीं, यह शरीया कानून का मसला
इससे पहले बैठक से निकले जमीयत उलमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मस्जिद हमारी नाक का मसला नहीं है। यह शरीया कानून का मसला है। हम न मस्जिद दे सकते हैं न उसके बदले कुछ ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि बोर्ड ने इन मसायल पर विचार के लिये एक कमेटी बनायी थी। वह तीन दिन से विचार कर रही थी। मुझे पता चला है कि कमेटी ने बोर्ड को अपनी रिपोर्ट दे दी है। कमेटी का कहना है कि हम जानते हैं कि हमारी पुनर्विचार याचिका खारिज होगी, मगर हमें यह कदम उठाना चाहिये।
सूत्रों के मुताबिक, संगठन के कई शीर्ष पदाधिकारियों की राय थी कि अब इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहिए, लेकिन कई पदाधिकारी पुनर्विचार याचिका दायर करने की दिशा में कदम बढ़ाने पर जोर दे रहे थे। सहमति नहीं बन पाने के कारण जमीयत की ओर से पांच सदस्यीय पैनल बनाया गया। इस बैठक में जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी, मौलाना असजद मदनी, मौलाना हबीबुर रहमान कासमी, मौलाना फजलुर रहमान कासमी और वकील एजाज मकबूल शामिल थे।
सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को मस्जिद के बदले जमीन नहीं लेना चाहिए
मौलाना अरशद मदनी ने गुरूवार को कहा था कि अयोध्या मामले पर शीर्ष अदालत का फैसला कानून के कई जानकारों की समझ से बाहर है। उन्होंने यह भी कहा था कि अयोध्या मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जो पांच एकड़ भूमि मस्जिद के लिए दी है, उसे सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को नहीं लेना चाहिए। अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट के 9 नवंबर के निर्णय के खिलाफ अपील दायर करने और मस्जिद के बदले जमीन लेने या न लेने के प्रमुख विषयों पर चर्चा के लिये एआईएमपीएलबी की बैठक बुलायी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में फैसला सुनाते हुए विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण कराने और मुसलमानों को मस्जिद निर्माण के लिये अयोध्या में किसी प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था।