नई दिल्ली। आज सोमवार को भारत के दसवें चुनाव आयुक्त और हमारे लोकतंत्र को मजबूत नींव देने वाले टीएन शेषन का निधन हो गया हैं। उनके निधन होने से लोगो को काफी दुख पहुंचा हैं। इस समय इनकी उम्र 86 वर्ष थी। बता दें कि टीएन शेषन एक ईमानदार इंसान थे। और अपनी इसी ईमानदारी के साथ वो लोगो की सेवा करते थे।
जानकारी के मुताबिक बताया जा रहा हैं कि पिछले कई सालों से शेषन जी चेन्नई में रह रहे थे और कई सालों से बीमार चल रहे थे। इसी बीमारी के चलते आज 86 वर्षीय टीएन शेषन को दिल का दौरा पड़ने से चेन्नई में ही निधन हो गया। बता दें कि इनका पूरा नाम तिरुनेलै नारायण अय्यर शेषन था। उन्होंने 1990 से 1996 के दौरान चुनाव प्रणाली को मजबूत बनाया। और इसी समय से चुनाव प्रणाली की दशा और दिशा बदल गई। शेषन को लेकर उस वक्त यह कहा जाता था कि नेताओं को या तो भगवान से डर लगता है या फिर शेषन से।
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बता दें कि उनके कार्यकाल से पहले तक चुनाव में बेहिसाब पैसा खर्च होता था और पार्टी एवं प्रत्याशी इसका हिसाब भी नहीं देते थे। उन्होंने आचार संहिता के पालन को इतना सख्त बना दिया कि कई नेता शेषन से खार खाते थे। इनमें लालू प्रसाद यादव प्रमुख थे। यह शेषन की ही देन है कि अब चुनावों में राजनीतिक दल और नेता आचार संहिता के उल्लंघन की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। उनके कार्यकाल के दौरान ही पहचान पत्र बने।
चुनाव में वोट डालने के लिए वोटर आईडी कार्ड का इस्तेमाल होने लगा। इससे फर्जी मतदान पड़ने कम हुए। यह भी कहा जाता है कि शेषन जब चुनाव आयुक्त थे उस वक्त वोट देने के लिए शराब बांटने की प्रथा एकदम खत्म हो गई थी। चुनाव के दौरान धार्मिक और जातीय हिंसा पर भी रोक लगी थी।
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के आर नारायणन के खिलाफ लड़ा चुनाव
टीएन शेषन तमिलनाडु कार्डर के 1995 वैज के आईएएस अधिकारी थे। चुनाव आयुक्त की जिम्मेदारी निभाने से पहले वह सिविल सेवा में थे। वह स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे कम वक्त तक सेवा देने वाले कैबिनेट सचिव बने। 1989 में वह सिर्फ आठ महीने के लिए कैबिनेट सचिव बने। शेषन ने के आर नारायणन के खिलाफ राष्ट्रपति पद का चुनाव भी लड़ा। वह तब के योजना आयोग के सदस्य भी रहे।