नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर शनिवार को अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगई के नेतृत वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने विवादित जमीन पर रामलला के हक में निर्णय सुनाया है। कोर्ट ने सरकार को राम मंदिर बनाने के लिए तीन महीने में एक ट्रस्ट बनाने के निर्देश दिए हैं।
सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन हम इससे संतुष्ट नहीं
सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन हम इससे संतुष्ट नहीं हैं। हम आगे की कार्रवाई तय करेंगे। पूरे मुल्क की आवाम से अपील है कि शांति बनाए रखें। इसे लेकर कहीं भी किसी प्रकार का कोई प्रदर्शन नहीं होना चाहिए। यदि हमारी समिति मान जाती है तो हम पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे। यह हमारा अधिकार है और यह सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अधीन भी है।
Zafaryab Jilani, All India Muslim Personal Law Board: We will file a review petition if our committee agrees on it. It is our right and it is in Supreme Court's rules as well. #AyodhyaJudgment https://t.co/ICu8y7fOzI pic.twitter.com/iAoOIcjMTz
— ANI (@ANI) November 9, 2019
निर्मोही अखाड़े के प्रवक्ता कार्तिक चोपड़ा ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा आभारी है कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते 150 वर्षों की हमारी लड़ाई को मान्यता दी है। उन्होंने कहा कि श्री राम जन्मस्थान मंदिर के निर्माण और प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार द्वारा स्थापित किए जाने वाले ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़ा को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया है।
कोर्ट के निर्णय से हल हुआ बहुत बड़ा मसला
मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। हमने पहले भी कहा था कि अदालत का फैसला मानेंगे। आज भी कह रहे हैं कि हम इसे मानते हैं। अब देखना है कि सरकार हमें मस्जिद निर्माण के लिए कहां जगह मिलती है। फिलहाल अदालत के इस निर्णय से एक बहुत बड़ा मसला हल हो गया है।
निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि दावा खारिज होने का अफसोस नहीं
निर्मोही अखाड़े के वरिष्ठ पंच महंत धर्मदास ने कहा कि विवादित स्थल पर अखाड़े का दावा खारिज होने का कोई अफसोस नहीं है, क्योंकि वह भी रामलला का ही पक्ष ले रहा था। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि निर्मोही अखाड़े का दावा कानूनी समय सीमा के तहत प्रतिबंधित है।
हिंदू महासभा ने कहा कि ऐतिहासिक फैसला
कोर्ट का फैसला आने के बाद हिंदू महासभा के वकील वरुण कुमार सिन्हा ने कहा कि यह ऐतिहासिक फैसला है। इस फैसले के साथ सुप्रीम कोर्ट ने विविधता में एकता का संदेश दिया है।