लखनऊ । भगवदगीता संपूर्ण भारतीय संस्कृति का आधार स्तंभ है। गीता (Gita) केवल एक धर्म ग्रंथ ही नहीं, जीवन ग्रंथ भी है, जो हमें पुरुषार्थ की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है। हजारों साल बाद आज भी यह हमारे बीच प्रासंगिक है। द्वापर युग में त्रियोग के प्रवर्तक श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता ज्ञान दिया था, जो मोक्षदायक है।
गीता परिवार के तत्वावधान में 25 दिसम्बर, 2020 को मोक्षदा एकादशी शुक्रवार को गीता जयंती महोत्सव पर विश्व के 70 देशों से 50 हजार गीता प्रेमियों ने 12 वें व 15वें अध्यायों का ऑनलाइन सामूहिक सस्वर पाठ यूट्यूब चैनल पर किया।
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अनुराग पांडे ने बताया कि गीता जयंती महोत्सव पर भारत सहित संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया ओमान, यूके, संयुक्त राज्य अमीरात, सऊदी अरब एवं विश्व के 70 देशों के 50,000 से अधिक गीता प्रेमियों ने ऑनलाइन सस्वर सामूहिक गीता पाठ करके विश्व कीर्तिमान स्थापित करते हुए श्रीमद्भागवत गीता का 5157वां प्राकट्य दिवस धूमधाम से मनाया।
गीता परिवार के संस्थापक एवं रामजन्मभूमि के न्यासी स्वामी गोविंद देव गिरी जी महाराज तथा पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण जी महाराज गीता जयंती महोत्सव का मार्गदर्शन किया। सभी प्रतिभागियों को ऑनलाइन सर्टिफिकेट्स भी प्रदान किये जायेंगे।