पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में मंगलवार को 31 सीटों पर होने वाले मतदान की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। जहां भाजपा सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का किला ध्वस्त करने का मंसूबा पाले है, वहीं वाममोर्चा-आईएसएफ-कांग्रेस गठबंधन को उन क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है जहां अस्मिता की राजनीति की जड़ें गहरी हुई हैं।
इस चरण में 78.5 लाख से अधिक पंजीकृत मतदाता हैं, जिन्हें 205 उम्मीदवारों के राजनीतिक तकदीर का फैसला करना है। उनमें भाजपा नेता स्वप्न दासगुप्ता, तृणमूल कांग्रेस के मंत्री आशिमा पात्रा, माकपा नेता कांति गांगुली प्रमुख नेता हैं।
आत्ममंथन का अवसर भी है भाजपा का स्थापना दिवस
शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये हैं तथा उसके वास्ते केंद्रीय बलों की 618 कंपनियों को 10871 मतदान केंद्रों पर तैनात किया गया है। चुनाव आयोग ने सारे मतदान केंद्रों को संवेदनशील के रूप में पहचान की है। केंद्रीय बलों की मदद के लिए राज्य पुलिस बलों को भी रणनीतिक स्थानों पर तैनात किया जाएगा। राज्य में कोविड-19 की स्थिति खराब होने के मद्देनजर इस चरण में सभी 31 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान स्वास्थ्य नियमों का कड़ाई से पालन कराकर कराया जाएगा। इन 31 विधानसभा क्षेत्रों में 16 दक्षिण 24 परगना (पार्ट टू), सात हावड़ा (पार्ट वन) और आठ हुगली (पार्ट वन) में हैं। राज्य में 2016 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने इन 31 में से 30 सीटें जीती थीं और कांग्रेस हावड़ा जिले की अमता विधानसभा सीट ही जीत पायी थी।
तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता एवं सांसद अभिषेक बनर्जी के डायमंड हार्बर लोकसभा क्षेत्र पर सभी की नजर होगी क्योंकि इस संसदीय क्षेत्र की सात में से चार विधानसभा सीटों पर इस चरण में मतदान होंगे। पीरजादा अब्बास सिद्दीकी का इंडियन सेकुलर फ्रंट (आईएसएफ) तृणमूल कांग्रेस के लिए चिंता की वजह है क्योंकि उसका दक्षिण 24 परगना और हुगली जिलों के कई क्षेत्रों में दबदबा है। तृणमूल के अल्पसंख्यक वोटों में सेंधमारी भांपकर पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने आईएसएफ को निशाने पर ले रखा है और आरोप लगाया है कि भाजपा ने उन्हें खड़ा किया है। सिद्दीकी ने इस आरोप का खंडन किया है।