लखनऊ। उत्तर प्रदेश के छात्रों के लिए सरकारी स्कूल अब और अधिक सुविधाओं और संभावनाओं से लैस होंगे। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार स्कूलों में छात्रों की नींव को मजबूत करने के लिए आधुनिक शिक्षा पद्धति को अपनाने पर जोर दिया है, जिसके लिए पीएम श्री (प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया) योजना (PM Shree Scheme) की शुरुआत की गई है। इस योजना और छात्रों के सुनहरे भविष्य के लिए योगी सरकार ने भी अपना खजाना खोल दिया है। प्रदेश सरकार की ओर से हाल ही में की गईं बजट घोषणाओं में इस योजना के लिए एक हजार करोड़ से अधिक राशि तय की गई है। घोषणा के अनुसार केंद्र सरकार की मदद से बेसिक शिक्षा पर 510 करोड़ रुपए और माध्यमिक शिक्षा पर 500 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इस योजना के मानकों के अनुरूप चुनिंदा स्कूलों को पीएम श्री (PM Shree Scheme) का दर्जा दिया जाएगा और इन्हें आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा।
पीएम श्री (PM Shree) स्कूल न सिर्फ अपने यहां पढ़ने वाले छात्रों के लिए बल्कि आसपास के अन्य स्कूलों के लिए भी मार्गदर्शन और नेतृत्व प्रदान करेंगे। प्रदेश सरकार की ओर से 1753 स्कूलों का डिस्ट्रिक्ट्र और स्टेट लेवल पर वेरिफिकेशन करके केंद्र सरकार के पास भेज दिया गया है। केंद्र सरकार से अप्रूवल मिलने के बाद इन स्कूलों को पीएम श्री के माध्यम से लाभान्वित किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने देशभर के 14500 स्कूलों को पीएम श्री योजना (PM Shree Scheme) के तहत अपग्रेड करने का निर्णय लिया था। पीएम मोदी ने शिक्षक दिवस के मौके पर इसकी घोषणा की थी। पीएम की घोषणा के बाद योगी सरकार ने बजट 2023-24 में इसके लिए राशि का प्रावधान किया है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मानक होंगे लागू
महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद के अनुसार पीएम श्री (PM Shree) भारत सरकार की योजना है। भारत सरकार ने ही बेंचमार्क बनाकर दिया है, जिस पर स्कूलों का चयन किया गया है। प्रत्येक ब्लॉक से दो पात्र स्कूलों को चुनकर उनसे आवेदन कराया गया। इसके बाद बीएसए स्तर पर इन स्कूलों का मूल्यांकन किया गया। ग्रामीण इलाकों के स्कूल जिन्हें 60 प्रतिशत से अधिक मार्क्स मिले वो पास हो गए और जिन्हें कम मिले वो फेल हो गए। इसी तरह अर्बन में 70 प्रतिशत का कटऑफ था।
इससे ऊपर मार्क्स पाने वाले स्कूल ही पास हुए। इसके बाद स्टेट लेवल पर इन सभी स्कूलों का वेरिफिकेशन किया गया। कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश में 1753 स्कूलों के आवेदन भारत सरकार के पास भेजे गए हैं। इनमें माध्यमिक के 89 स्कूल माध्यमिक के हैं जबकि बाकी स्कूल बेसिक शिक्षा से संबंधित है। अब भारत सरकार की ओर से वेरिफिकेशन के बाद चिन्हित स्कूलों को पीएम श्री का दर्जा दिया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार इन स्कूलों को विकसित किया जाएगा। चूंकि यह सेंट्रल स्पॉन्सर्ड स्कीम है, इसलिए केंद्र सरकार की ओर से भी 60 प्रतिशत राशि मिलेगी।
पीएम श्री (PM Shree) स्कूलों में क्या होगा खास?
-इन स्कूलों में नवीनतम तकनीक, स्मार्ट क्लास, खेल और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
-पीएम श्री विद्यालय में सभी छात्रों के लिए एक सुरक्षित, प्रोत्साहित करने वाले शैक्षिक वातावरण में सीखने एवं अलग अनुभव प्रदान करने वाली अच्छी ढांचागत व्यवस्था एवं समुचित संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की बात कही गई है।
-इसमें स्कूलों में उपस्थिति बढ़ाना तथा बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया जाएगा। स्कूल ड्रॉप आउट में भी कमी लागने की कोशिश की जाएगी।
-ये स्कूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू करने में मदद करेंगे और अपने-अपने क्षेत्रों में बेहतरीन और अनुकरणीय स्कूल के रूप में सामने आएंगे।
-इन स्कूलों में प्रैक्टिकल, समग्र, एकीकृत, वास्तविक जीवन की स्थितियों पर आधारित पढ़ाई कराई जाएगी।
-ये शिक्षकों के लिए भी काफी अहम होगा। इनमें स्मार्ट क्लास, पुस्तकालय, कौशल प्रयोगशाला, खेल का मैदान, कंप्यूटर प्रयोगशाला, विज्ञान प्रयोगशाला आदि सभी सुविधाएं होंगी।
क्यों महत्वपूर्ण है पीएम श्री योजना (PM Shree Scheme)?
-पीएम श्री एक समान, समावेशी और आनंदमय स्कूल वातावरण में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करेगा, जो बच्चों की विविध पृष्ठभूमि, बहुभाषी जरूरतों और और विभिन्न शैक्षणिक क्षमताओं का ख्याल रखेगा और साथ ही उन्हें अपनी स्वयं की सीखने की प्रक्रिया में भी भागीदार बनाएगा।
-पीएम श्री के अंतर्गत स्कूल अपने-अपने क्षेत्रों के अन्य स्कूलों को मेंटरशिप प्रदान करके उसका नेतृत्व करेंगे।
-पीएम श्री स्कूलों को ग्रीन स्कूल के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसमें सौर पैनल और एलईडी लाइट, प्राकृतिक खेती के साथ पोषण उद्यान, अपशिष्ट प्रबंधन, प्लास्टिक मुक्त, जल संरक्षण और संचयन, पर्यावरण की सुरक्षा से संबंधित परंपराओं / प्रथाओं का अध्ययन जैसे पर्यावरण के अनुकूल पहलुओं को शामिल किया जाएगा।
-इन स्कूलों में अपनाई जाने वाली शिक्षा सामग्री अधिक अनुभवात्मक, समग्र, एकीकृत, खेल/खिलौना-आधारित (विशेषकर, मूलभूत वर्षों में) पूछताछ-संचालित, खोज-उन्मुख, चर्चा-आधारित, लचीली और मनोरंजक होगी।
-प्रत्येक क्लास में प्रत्येक बच्चे के सीखने की प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जाएगी। सभी स्तरों पर मूल्यांकन, वैचारिक समझ और वास्तविक जीवन स्थितियों में ज्ञान के अनुप्रयोग पर आधारित होगा और योग्यता आधारित होगा।
-प्रत्येक डोमेन के लिए उपलब्ध संसाधनों और उपलब्धता, पर्याप्तता, उपयुक्तता और उपयोग के संदर्भ में उनकी प्रभावशीलता और उनके प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों का आकलन किया जाएगा।
-रोजगार बढ़ाने और बेहतर रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए क्षेत्र कौशल परिषदों और स्थानीय उद्योग के साथ जुड़ाव का पता लगाया जाएगा।
-इसके जरिए स्कूल गुणवत्ता आकलन ढांचा (एसक्यूएएफ) विकसित किया जा रहा है। मानकों को सुनिश्चित करने के लिए नियमित अंतराल पर इन स्कूलों का गुणवत्ता मूल्यांकन भी किया जाएगा।