नई दिल्ली। राम मंदिर विवाद मामले में केंद्र सरकार ने बड़ा दांव चला है। सरकार ने अयोध्या विवाद मामले में विवादित जमीन छोड़कर बाकी जमीन को लौटने और इसपर जारी यथास्थिति हटाने की मांग की है। सरकार ने अपनी अर्जी में 67 एकड़ जमीन में से कुछ हिस्सा सौंपने की अर्जी दी है। ये 67 एकड़ जमीन 2.67 एकड़ विवादित जमीन के चारो ओर स्थित है।
ये भी पढ़ें :-कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एक बार फिर विवादों में घिरे
आपको बता दें राम जन्मभूमि न्यास ने 1991 में अधिग्रहित अतिरिक्त भूमि को मूल मालिकों को वापस दिए जाने की मांग की थी। शीर्ष अदालत ने पहले विवादित स्थल के पास अधिग्रहण की गई 67 एकड़ जमीन पर यथा स्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।सरकार के इस कदम का वीएचपी और हिंदूवादी संगठनों ने स्वागत किया है।
ये भी पढ़ें :-पूर्व रक्षामंत्री ने दिल्ली के मैक्स अस्पताल में ली आखिरी सांस, लंबे समय से थे बीमार
जानकारी के मुताबिक रामलला विराजमान की ओर से ऐडवोकेट ऑन रेकॉर्ड विष्णु जैन बताया था कि दोबारा कानून लाने पर कोई रोक नहीं है लेकिन उसे सुप्रीम कोर्ट में फिर से चुनौती दी जा सकती है। VHP ने केंद्र के इस कदम का स्वागत किया है। वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने एक बयान जारी कर कहा कि कोर्ट ने एम. इस्माइल केस में कहा था कि अतिरिक्त जमीन इसके मालिकों को लौटाई जा सकती है।